सनवाल ने कहा कि जौनसार, कुमाऊं और गढ़वाल की अलग सामाजिक-सांस्कृतिक प्रकृति को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र-विशिष्ट रणनीतियाँ तैयार करनी होंगी और छोटे-बड़े किसानों के लिए अलग नीतियां बनानी चाहिए ताकि वे अपने उत्पाद बड़े बाजार तक पहुँचा सकें. मौजूदा विकास मॉडल पर नए सिरे से सोचने की जरूरत है.