जोधपुर केंद्रीय कारागार अधीक्षक ने उच्चतम न्यायालय (सु्प्रीम कोर्ट) को बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) के तहत हिरासत में लिए गए जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को एकांत कारावास में नहीं रखा गया है और उन्हें आगंतुकों से मिलने सहित वे सभी अधिकार प्राप्त हैं, जो एक कैदी को मिलते हैं. सोनम वांगचुक राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद हैं.
जेल अधीक्षक ने कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में कहा कि वांगचुक किसी भी पुरानी बीमारी से पीड़ित नहीं हैं और चिकित्सकीय और शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं. हलफनामे में कहा गया है, बंदी को जनरल वार्ड में 20 गुणा 20 फुट के एक मानक बैरक में रखा गया था, जहां वह आज तक बंद हैं और फिलहाल वह इस जेल बैरक में अकेले रह रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
इसमें कहा गया है कि स्पष्टता के लिए यह बताना जरूरी है कि वांगचुक एकांत कारावास में नहीं हैं, क्योंकि उन्हें बंदियों को मिलने वाले सभी अधिकार प्राप्त हैं. यह हलफनामा वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई उस याचिका के जवाब में दाखिल किया गया है, जिसमें उन्होंने रासुका के तहत अपने पति की हिरासत को चुनौती दी है और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है.
मुलाकातियों से बातचीत करने की अनुमति
जेल अधीक्षक ने बताया कि वांगचुक पूरी तरह से स्वस्थ हैं और हिरासत के बाद से हर दिन सामान्य आहार ले रहे हैं. हलफनामे में कहा गया है कि यह बताना आवश्यक है कि राजस्थान कारागार नियमावली, 2022 के नियम 538 के अनुसार, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 के तहत बंदियों को मामले के तथ्यों से परिचित स्थानीय पुलिसकर्मी की उपस्थिति के बिना अपने मुलाकातियों से बातचीत करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
इसमें कहा गया है कि नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि बंदी अपने मुलाकातियों से बातचीत कर सके, जेल प्रशासन ने बंदी से मुलाकात के दौरान स्थानीय पुलिसकर्मियों की उपस्थिति सुनिश्चित की है.
हलफनामे में कहा गया है कि जोधपुर केंद्रीय कारागार के जेल प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव उपाय किए हैं कि बंदी को मुलाकातियों तक पहुंच प्रदान की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि कारागार नियमों के तहत उनके मुलाकाती अधिकारों का किसी भी तरह से उल्लंघन न हो.
26 सितंबर को हुई थी गिरफ्तारी
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को राज्य का दर्जा दिए जाने और इसे छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दो दिन बाद वांगचुक को 26 सितंबर को रासुका के तहत हिरासत में लिया गया था. इस हिंसक प्रदर्शन में चार लोगों की मौत हो गयी और 90 घायल हो गए थे. सरकार ने उन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है.