एक फॉरेस्ट गार्ड ने की पहल, बालाघाट में 10 खूंखार नक्सलियों को मनाया… करवा दिया सरेंडर

एक फॉरेस्ट गार्ड ने की पहल, बालाघाट में 10 खूंखार नक्सलियों को मनाया… करवा दिया सरेंडर

मध्य प्रदेश के बालाघाट में देर रात को जब एक साथ दस नक्सली बालाघाट मुख्यालय पहुंचे तो पुलिस महकमा हरकत में आ गया. इन खूंखार नक्सलियों को एक फॉरेस्ट गार्ड ने सरेंडर करने के लिए मनाया और बालाघाट में IG ऑफिस बुलाया. इस दौरान मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव पहुंचे जिनके सामने नक्सलियों ने सरेंडर किया और अपने हथियार डाले.

बालाघाट के माथे पर 35 सालों से लाल आतंक का कलंक लगा हुआ है, लेकिन पिछले डेढ़ महीने में नक्सलियों के हौसले पस्त हुए हैं. इसका कारण कुछ और नहीं लेकिन सुरक्षा बलों की वो मेहनत है जिसमें उन्होंने दिन-रात यहां के जंगलों की खाक छानी है. इसका नतीजा ये रहा कि 26 नक्सलियों ने सरेंडर की राह चुनी. पहले एमपी में सुनीता फिर चार नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ और 11 नक्सलियों ने महाराष्ट्र जाकर सरेंडर किया. आखिर में एमपी में भी 10 नक्सलियों ने बालाघाट आकर सरेंडर किया.

7 दिसंबर को मुख्यमंत्री बालाघाट पहुंचे और नक्सलियों से हथियार लेकर उनके हाथ में संविधान की किताब थमाई और मुख्यधारा में शामिल करवाया. लेकिन ये सरेंडर इतना आसान न था क्योंकि इंस्पेक्टर आशीष शर्मा की शहादत के बाद नक्सलियों में खौफ था और सरेंडर करने दूसरे राज्यों की राह पकड़ रहे थे. लेकिन एक फॉरेस्ट गार्ड ने उन्हें मध्य प्रदेश में सरेंडर करने के लिए समझाया और उनकी मेहनत रंग लाई.

जितना आसान लग रहा, उतना ही मुश्किल था सरेंडर

एमपी के इतिहास के सबसे बड़े नक्सल सरेंडर की बात होती है तो सिर्फ इतना समझ आता ही नक्सलियों को एक बीट गार्ड ने आईजी के बंगले तक पहुंचाया और सरेंडर करवाया. कहानी सिर्फ इतनी नहीं है. इसके पीछे की भी है, जानिए क्या है पूरा किस्सा.

कैंप आए और बोले- गुलाब को बुलाओ

10 नक्सलियों को सरेंडर करवाने वाले गुलाब उइके ने बताया कि नक्सली कैंप आए और कहा कि गुलाब को बुलाओ. उस वक्त वह खापा में थे. जानकारी मिलने के बाद वह कैंप पहुंचे. इसके बाद उनसे मुलाकात हुई. उन्होंने मांग की कि हम 10 नक्सली हैं और हमें छत्तीसगढ़ के रेंगाखार के थाने में पहुंचा दो. एक गाड़ी की व्यवस्था कर दो. इसके बाद उन्होंने कहा कि नहीं मैं दूसरे राज्य में नहीं पहुंचा सकता. उन्होंने कहा कि मैं बालाघाट या फिर मंडला में सरेंडर करवा दूंगा.

कलेक्टर का वीडियो देख दूर हुई बेचैनी

सालों से जंगल में रह नक्सलियों में सरेंडर की इच्छा तो थी लेकिन एक बेचैनी भी थी. ऐसे में भरोसेमंद बीट गार्ड ने उन्हें कलेक्टर का वीडियो दिखाया. नक्सली कबीर ने 10 से 12 मिनट तक वीडियो देखा और सरेंडर करने की इच्छा जताई. फिर उन्होंने शनिवार को सरेंडर करने का दिन तय कर दिया. फिर उन्होंने सरेंडर कराने वाले फोर्स के लोगों से संपर्क किया. फिर उन्होंने बोलेरो वाहन से 10 नक्सलियों को बालाघाट में आईजी के बंगले पर पहुंचाया.

पहले भी दे चुके राशन

फॉरेस्ट गार्ड गुलाब सिंह उइके बताते हैं कि पहले भी नक्सली उनसे टकराते रहे हैं. जंगल में नक्सली उनसे राशन की मांग भी कर चुके हैं. फिर वह नक्सलियों को चावल, आटा, सब्जी सहित तमाम चीजें दी थीं. ऐसे में वह नक्सलियों के भरोसेमंद भी थे. यहीं वजह थी की नक्सलियों ने गुलाब सिंह उइके को बुलाया और उनके समझाने पर अपने हथियार डाल दिए.

ऐतिहासिक रहा ये सरेंडर

बालाघाट में यहां एक साथ 10 इनामी नक्सलियों ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सामने अपने हथियार डाल दिए. इन सभी नक्सलियों पर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में कुल मिलाकर 2 करोड़ 36 लाख रुपये का इनाम घोषित था. इनमें सुरेंद्र उर्फ कबीर, राकेश ओडी उर्फ मनीष, समर उर्फ समारू, सलीता उर्फ सावित्री, विक्रम उर्फ हिडमा वट्टी, लाल सिंह मरावी, शिल्पा नुप्पो, जरीना उर्फ जोगी मुसाक, जयशील उर्फ ललीता और नवीन नुप्पो शामिल हैं. इनमें से कई लंबे समय से छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा जिलों में सक्रिय थे.

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