कला सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि संस्कार के निर्माण का साधन- मोहन भागवत

कला सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि संस्कार के निर्माण का साधन- मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आज नागपुर में विदर्भ संस्कार भारती के कार्यक्रम में पहुंचे. मोहन भागवत का ये दौरा आरएसएस के 100 साल पूरे होने पर हो रहा है. भागवत ने आरएसएस के हेडगेवार स्मृति भवन में दिए गए अपने संबोधन कहा कि कला हमारे यहां केवल मनोरंजन के लिए नहीं होती, हमारी दृष्टि है, सत्यम शिवम सुंदरम, हिंदू दर्शन कला का तीन शब्दों में आ जाता है, जो सत्य है. जो शिव है वो सुंदर है, तो हमारे कल का दर्शन भी सत्यम शिवम सुंदरम होना चाहिए, ऐसा होने से संस्कार होता है.

उन्होंने आगे कहा कि संस्कृति की बात है, संस्कृति संस्कार से चलती है. कला का उद्देश्य संस्कार करना है. हेडगेवार स्मृति भवन में विदर्भ संस्कार भारती द्वारा 101 चुनिंदा दिवंगत संघ प्रचारक एवं संघ ब्रती कार्यकर्ताओं को कला अभिवादन करने हेतु पोट्रेट रंगोली तथा पुस्तिका प्रशासन लगाया गया था.

एक साल तक चलेगा शतक पूर्ति को मनाने का काम

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक ने कहा कि संघ के कार्य का 100 वर्ष पूर्ण हो गया, शतक पूर्ति को मनाने का काम एक वर्ष चलेगा, एक सामान्य कल्पना हम सबको है कि इन 100 सालों मे संघ कैसे शुरू हुआ, अनेक प्रकार की आपत्तियों में कैसे बढा, यहां तक आ पहुंचा उसका केसे प्रयास है, कैसे बलिदान है. स्वाभाविक है शताब्दी में हमें कुछ ना कुछ करना चाहिए. ऐसा सबको लगता है, शताब्दी वर्ष के लिए नियम यह बना है.

संघ के स्वयंसेवक शताब्दी का काम संपन्न करेंगे, संघ के स्वयंसेवक अनेक संगठनों में है वह संगठन कुछ नहीं करेगी, शताब्दी के कार्यक्रम निश्चित हुए, उसमें जो स्वयंसेवक है,जहां संघ के जो स्वयंसेवक जहां संगठन मे है, संघ की जो योजना बनेगी उसमें वह काम करेंगे.

संघ को हुए साल 100 साल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस साल दशहरे से अपने 100 साल पूरे होने का कार्यक्रम मनाएगा. 2 अक्टूबर 2025 से 20 अक्टूबर 2026 तक देश भर में सात बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.

इनका उद्देश्य संघ की सौ साल की यात्रा, वर्तमान चुनौतियों और समाधानों को समाज के सामने प्रस्तुत करना है. ये कार्यक्रम स्थानीय स्तर से लेकर प्रांतीय स्तर तक होंगे. पश्चिम बंगाल में यह क्रम नवरात्रि के पहले दिन से ही शुरू हो चुका है.

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