राष्ट्रकवि दिनकर को मिले भारत रत्न, बोले रवींद्र रंजन- उनकी रचनाओं में संघर्ष का शंखनाद

राष्ट्रकवि दिनकर को मिले भारत रत्न, बोले रवींद्र रंजन- उनकी रचनाओं में संघर्ष का शंखनाद

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती (23 सितंंबर) पर हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान को याद किया गया. दिनकर हिंदी भाषा के उन प्रमुख रचनाकारों में से एक हैं, जिन्होंने अपनी कविताओं से आजादी के पहले अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ देश की आवाज बुलंद की. इतना ही नहीं आजादी के बाद भी रामधारी सिंह दिनकर ने सत्ता में बैठे हुक्मरानों की गलत नीतियों का जमकर विरोध किया.

रामधारी सिंह दिनकर को सबसे सफल और प्रसिद्ध आधुनिक हिंदी कवियों में से एक माना जाता है. जिन्होंने रश्मिरथी और परशुराम की प्रतीक्षा जैसी तमाम काव्य, ग्रंथ और रचनाएं लिखीं, जो आमजन की जुबान पर सहज ही चढ़ गईं. बता दें कि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया गांव में 23 सितंबर 1908 को हुआ था.

रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर गोष्ठी का आयोजन

वहीं रामधारी सिंह दिनकर के अवतरण दिवस पर स्वामी सहजानंद किसान वाहिनी के अध्यक्ष सह क्षेत्रीय प्रभारी भाजपा रवींद्र रंजन की अध्यक्षता में पटना के ज्योतिपुरम अपार्टमेंटस सोसाइटी में उनकी रचनाओं और सम्पूर्ण कृतियों को अविस्मरणीय बनाए रखने के लिए गोष्ठी और श्रद्धा सुमन अर्पण समारोह का अयोजन किया गया.

अब तक भारत रत्न नहीं दिया जाना चिंतनीय

इस दौरान रवींद्र रंजन ने रामधारी सिंह दिनकर को सर्व साधारण का सर्वोच्च कवि बताते हुए उन्हें अविलंब भारत रत्न देने की मांग की. उन्होंने कहा कि दिनकर भारत रत्न के प्रथम हकदारों में से एक हैं. उन्हें अब तक भारत रत्न नहीं दिया जाना चिंतनीय है.

उन्होंने कहा कि युगदृष्टा, ‘महान दार्शनिक’ तथा ‘पूर्ण स्वाधीनता की अभिलाषा के महान रचनाकार रामधारी सिंह दिनकर भारतीय साहित्य के उस गौरवपूर्ण श्रृंखला के देवतुल्य गणों में एक हैं. जिन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से भारत की सभ्यता और संस्कृति को वर्तमान के साथ ही भविष्य की दिशा देने तथा भूत काल की घटनाओं का सार्थक विवेचना करने का कार्य किया है.

केंद्रीय विश्वविद्यालय की भी स्थापना की मांग

ऐसे में राष्ट्रकवि दिनकर को भारत रत्न से सम्मानित किया जन-जन की भावना का सम्मान होगा. दिनकर के नाम पर केंद्रीय विश्वविद्यालय की भी स्थापना होनी चाहिए. इस समारोह के मुख्य वक्ता तथा प्रख्यात साहित्यकार और पूर्व विधान पार्षद डॉ. प्रेम कुमार मणि ने दिनकर को याद करते हुए कहा कि उनकी रचनाओं में सम्पूर्ण संघर्ष का शंखनाद है.

दिनकर की हर रचना कालजई

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में अपनी रचना रेणुका में हिमालय से भीम और अर्जुन लौटने की याचना करने वाले दिनकर को जब लगा कि आजादी के बाद हमारे नेता जनता का कार्य न करके भोग और विलास में आकंठ डूबे हुए हैं, तब उन्होंने ‘दो राह, समय के रथ का घर्घर नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’, जैसी पंक्तियों का पाठ करने से भी गुरेज नहीं किया. दिनकर की हर रचना कालजई है. इस अवसर पर कई गणमान्य और बुद्धिजीवियों के अलावा बीजेपी नेता पप्पू शर्मा, केके ठाकुर, आनंद शर्मा, सुनील सिंह, संजय मयंक, पूजा ऋतुराज, ज्ञानेश्वर राय, किसान नेता सतीश सिंह आदि उपस्थित थे.

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