जब आसमान से कोई खतरा आता है, तो सिर्फ बम नहीं गिरते… हवाई सुरक्षा पर से भरोसा भी टूटता है. हाल ही में रूस के ड्रोन, NATO देशों के ऊपर ऐसे मंडराए कि पूरा यूरोप चौकन्ना हो गया. क्या रूस अब हवा से युद्ध की नई चाल चल रहा है? क्या NATO के सबसे मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम में दरार पड़ चुकी है? चलिए बात करते हैं रूस के ड्रोन हमलों से डरे यूरोप की, और जानते हैं क्यों ये सिर्फ टेक्नोलॉजी की ही नहीं, स्ट्रेटेजी की भी लड़ाई है.
NATO एयरस्पेस अंडर थ्रेट
पिछले दो महीनों में यूरोप के कम-से-कम 10 देशों में अवैध ड्रोन गतिविधियां दर्ज की गई हैं. 9 सितंबर को 19 रूसी ड्रोन पोलैंड के हवाई इलाके में दाखिल हुए, जिसके बाद NATO ने अपने F-16 और F-35 फाइटर जेट्स को तैनात करके तीन ड्रोन मार गिराए. इसके कुछ दिन बाद, रोमानिया के ऊपर भी रूसी Shahed-136 (Geran-2) ड्रोन देखे गए – लेकिन रोमानिया ने इन्हें गिराने की बजाय रूसी एम्बेसडर को तलब किया. इस पूरे घटनाक्रम ने यूरोप में हवाई सुरक्षा तंत्र यानि एयर डिफेंस सिस्टम की कमजोरी को उजागर कर दिया है.
रूस की ड्रोन रणनीति: The Shadow War
रूस अब परंपरागत युद्ध से आगे निकल चुका है. ड्रोन अब उसका नया Geopolitical हथियार बन चुके हैं – सस्ते, चालाक और घातक. इन Shahed-136 ड्रोन का इस्तेमाल रूस पहले यूक्रेन में करता था, लेकिन अब ये NATO की सीमाओं को भी लांघ रहे हैं.
रूसी रक्षा विश्लेषज्ञ मानते हैं कि ‘रूस एक भी मिसाइल दागे बिना NATO के रिस्पॉन्स टाइम और रडार एफिशिएंसी को टेस्ट कर रहा है.’ यानि रूस किसी सीधी जंग की शुरुआत नहीं कर रहा, लेकिन वह NATO की सतर्कता और तकनीकी क्षमता को परख रहा है.
यूरोप की प्रतिक्रिया: डर, निराशा और अराजकता
इन घटनाओं ने पूरे यूरोप में हलचल मचा दी है. डेनमार्क और जर्मनी में कई एयरपोर्ट्स को ड्रोन दिखने के बाद अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा. म्यूनिख एयरपोर्ट 4 अक्टूबर को Oktoberfest के दौरान बंद हुआ, जिससे 10,000 यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ी. जर्मन इंटीरियर मिनिस्ट्री अलेक्जेंडर डोब्रिंड्ट ने सितंबर 2025 के आखिर में कहा था कि रूसी हमले की वजह से यूरोप ड्रोन हथियारों की रेस में है.
उन्होंने इन घटनाओं को यूरोप की सुरक्षा के लिए चेतावनी भी बताया था. यूरोपियन कमीशन की प्रेसिडेंट उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने अक्टूबर की शुरुआत में कहा था कि रूस हमें परख रहा है, साथ ही चेतावनी दी कि रूस हाइब्रिड युद्ध की टैक्टिक से यूरोप को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है. यानि ये घटनाएं सिर्फ़ सुरक्षा का उल्लंघन नहीं, बल्कि रणनीतिक धमकी भी हैं.
नाटो की कमज़ोरी: एकीकृत ड्रोन रक्षा का अभाव
NATO के पास दुनिया का सबसे बड़ा एयर डिफेंस सिस्टम है, लेकिन ड्रोन वॉरफेयर के मामले में वो अभी काफी पीछे है. हर देश की अपनी तकनीक और प्रतिक्रिया प्रणाली है – कोई इजराइली तकनीक पर निर्भर है, कोई अमेरिकी रडार पर, तो कोई फ्रेंच जैमर सिस्टम पर.
रूस की घुसपैठ के बाद, NATO अधिकारियों और डिफेंस एनालिस्ट्स ने बार-बार ड्रोन से पैदा होने वाली चुनौतीयों पर ज़ोर दिया है. वे इन घटनाओं को ‘ग्रे-ज़ोन’ या ‘हाइब्रिड वॉरफेयर’ स्ट्रेटेजी का हिस्सा बताते हैं, जिसका मकसद कमज़ोरियों को टेस्ट करना है. ड्रोन मेजर ग्रुप के रॉबर्ट गारबेट ने पिछले महीने कहा था कि छोटे, सस्ते ड्रोन का इस्तेमाल इकॉनमी को डिस्टर्ब करने, डेटा इकट्ठा करने और पश्चिमी आबादी के बीच डर और फूट डालने के लिए किया जा सकता है.
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ऐसे ड्रोन अक्सर पास से उड़ाए जाते हैं, जिससे उन्हें पारंपरिक तरीकों से पहचानना मुश्किल हो जाता है. यानी NATO के पास बड़ी मशीनों के लिए सुरक्षा है, लेकिन छोटे खतरों के लिए नहीं.
यूरोपीय संघ की नई योजना: एकीकृत स्काई शील्ड पहल
इन लगातार ड्रोन हमलों के बाद, European Union ने एकीकृत ड्रोन रक्षा पहल (Unified Drone Defence Initiative) को तेज़ी से लागू करने का ऐलान किया है. इस पहल का मकसद है – एक अखंड हवाई रक्षा नेटवर्क, जिसमें हर देश की एयरस्पेस निगरानी और रिस्पॉन्स सिस्टम जुड़ा हो.
यूरोपियन यूनियन के फॉरेन पॉलिसी चीफ जोसेप बोरेल ने कहा था कि यूरोप का आसमान भी उतना ही सुरक्षित होना चाहिए जितना ज़मीन पर हमारी सीमाएं. रूस के ड्रोन हमारी सीमाएं तय नहीं करेंगे. इस योजना में AI-आधारित रडार सिस्टम, Laser Interceptors, और Electronic Warfare Units की तैनाती की जाएगी.
यूरोप की एयर डिफेंस का भविष्य
रूस के इन ड्रोन हमलों ने यूरोप को झकझोर दिया है. एक तरफ़ ये युद्ध नहीं, बल्कि डर फैलाने की रणनीति लगती है. दूसरी तरफ़, इसने NATO और यूरोपियन यूनियन की तैयारी की असली तस्वीर दिखा दी है. रूस का ये नया Silent Weapon- ड्रोन – अब युद्ध का नया चेहरा है. यूरोप अब अपनी रक्षा दीवारों को डिजिटल बना रहा है, लेकिन क्या रूस का साइबर और ड्रोन नेटवर्क उसे पछाड़ नहीं देगा. आसमान में चल रही ये कोल्ड, अब गर्म भी हो सकती है.
