
नाटो 13 अक्टूबर (सोमवार) से अपना प्रमुख न्यूक्लियर एक्सरसाइज करेगा. नाटो प्रमुख ने शुक्रवार को इसका ऐलान किया. इस अभ्यास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हथियारों के इस्तेमाल से पहले उनकी सुरक्षा पर केंद्रित होगा. इसे रूस के खिलाफ नाटो का न्यूक्लियर युद्धाभ्यास माना जा रहा है. हालांकि नाटो की तरफ से साफ किया गया है कि एक्सरसाइज के दौरान न्यूक्लियर हथियार का इस्तेमाल नहीं होगा. फाइटर जेट्स एटम बम लेकर नहीं उड़ेंगे, बस इसका डेमो होगा. नाटो चीफ ने ख़ुद नीदरलैंड के एक एयरबेस से इस एक्सरसाइज का ऐलान किया.
सोमवार से शुरू होने वाला लंबे समय से नियोजित ‘स्टीडफास्ट नून’ अभ्यास, यूरोप में सैन्य प्रतिष्ठानों के आसपास कड़ी सुरक्षा के बीच हो रहा है, क्योंकि कई रहस्यमय ड्रोन घटनाएं हुई हैं, जिनमें से कुछ के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराया गया है. स्टीडफास्ट नून लगभग दो हफ़्ते तक चलेगा. इसका नेतृत्व नीदरलैंड करेगा और इसमें 14 नाटो देशों के 71 विमान शामिल होंगे. यह अभ्यास एक दशक से भी ज़्यादा समय से हर साल लगभग इसी समय आयोजित किया जाता रहा है.
NATOs annual nuclear deterrence exercise STEADFAST NOON will start on 13 October.
The exercise is an important demonstration of the Alliances nuclear deterrent, and sends a clear message to any adversary that NATO can and will protect and defend all Allies
pic.twitter.com/Tbv91mLHfm — NATO (@NATO) October 10, 2025
सहयोगियों की सभी खतरों से रक्षा करेंगे
नाटो महासचिव मार्क रूट ने एक वीडियो बयान में कहा, हमें ऐसा करना जरूरी है क्योंकि इससे हमें यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि हमारा परमाणु निवारक तंत्र यथासंभव विश्वसनीय, सुरक्षित और प्रभावी बना रहे. उन्होंने कहा कि यह किसी भी संभावित विरोधी को यह स्पष्ट संकेत भी देता है कि हम सभी सहयोगियों की सभी खतरों से रक्षा करेंगे और कर सकते हैं.
परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बमवर्षक विमान और फाइटर जेट इसमें भाग ले रहे हैं, लेकिन किसी भी परमाणु हथियार या जीवित गोला-बारूद का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. अभ्यास का अधिकांश भाग उत्तरी सागर में, रूस और यूक्रेन से दूर, आयोजित किया जा रहा है. इसमें बेल्जियम, ब्रिटेन, डेनमार्क और नीदरलैंड के सैन्य अड्डे शामिल होंगे.
नाटो की रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता
अमेरिका और ब्रिटेन, अपनी परमाणु शक्तियों के साथ, नाटो की रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता के लिए महत्वपूर्ण हैं. फ्रांस के पास भी परमाणु हथियार हैं, लेकिन वह संगठन के परमाणु योजना समूह का हिस्सा नहीं है. नाटो के अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि 32 देशों के गठबंधन की परमाणु तैयारी का परीक्षण करने के लिए किस तरह के परिदृश्यों का उपयोग किया जाएगा, लेकिन उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह किसी विशेष देश के लिए टारगेटेड नहीं है, न ही इसका वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं से कोई संबंध है.
खुफिया प्रणालियों का भी इस्तेमाल
अमेरिका पारंपरिक या परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम F-35 जेट, ईंधन भरने वाले विमान और अन्य सहायक विमान उपलब्ध करा रहा है. फिनलैंड और पोलैंड लड़ाकू विमान भेज रहे हैं. इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण, टोही और खुफिया प्रणालियों का भी इस्तेमाल किया जाएगा. बेल्जियम के मोन्स स्थित गठबंधन के सैन्य मुख्यालय में नाटो परमाणु अभियानों के प्रमुख कर्नल डैनियल बंच ने कहा कि अभ्यास का एक बड़ा हिस्सा जमीन पर परमाणु हथियारों की सुरक्षा पर केंद्रित होगा.
ड्रोन हमारे लिए कोई नया खतरा नहीं
बंच ने कहा कि कई अलग-अलग खतरे हैं, जिनका हम आकलन करते हैं और जिनसे हमें बचाव करना होगा क्योंकि ये अत्यधिक संरक्षित संपत्तियां हैं, जिनकी अत्यधिक सुरक्षा और संरक्षा की आवश्यकता होती है. यह पूछे जाने पर कि क्या हाल की घटनाओं, खासकर बेल्जियम और डेनमार्क में सैन्य ठिकानों के पास, को देखते हुए ड्रोन एक विशेष चिंता का विषय हैं, उन्होंने कहा कि ड्रोन हमारे लिए कोई नया खतरा नहीं हैं. ड्रोन एक ऐसी चीज है, जिसे हम समझते हैं.
नाटो एक परमाणु गठबंधन बना रहेगा
बंच ने स्वीकार किया, हम लगातार हो रही घुसपैठ पर नजर रख रहे हैं, हम विरोधी से एक कदम आगे रहेंगे. पिछले साल गठबंधन के नेताओं द्वारा सहमत वाशिंगटन शिखर सम्मेलन की घोषणा में कहा गया है कि नाटो की परमाणु क्षमता का मूल उद्देश्य शांति बनाए रखना, जबरदस्ती और आक्रामकता को रोकना है. इसमें कहा गया है, जब तक परमाणु हथियार मौजूद रहेंगे, नाटो एक परमाणु गठबंधन बना रहेगा.
रूस के परमाणु रुख में कोई बदलाव नहीं
नाटो के परमाणु नीति निदेशालय के प्रमुख जेम्स स्टोक्स ने बताया कि क्रेमलिन की लगातार तीखी बयानबाजी के बावजूद, सहयोगियों ने हाल ही में रूस के परमाणु रुख में कोई बदलाव नहीं देखा है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रूस इस अभ्यास का केंद्र नहीं है, लेकिन कहा कि नाटो रूसी सैन्य गतिविधियों पर नजर रख रहा है, जिसमें यूक्रेन में दोहरे क्षमता वाली मिसाइलों का इस्तेमाल भी शामिल है, जिन्हें परमाणु हथियार ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.