
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुटे हुए हैं. सूबे की सत्ता पर काबिज होने के लिए पार्टियां रणनीति बनाने में लगी हुई हैं. जनता से लोक लुभावन वादे किए जा रहे हैं, तो वहीं एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भिी जारी है. इस बीच चुनाव से पहले जेडीयू को बड़ा झटका लगा है. पार्टी के विधायक गोपाल मंडल ने जेडीयू का साथ छोड़कर आरजेडी का दामन थाम लिया है.
बुधवार (8 अक्टूबर) को पटना में आयोजित मिलन समारोह में जेडीयू से जुड़े कई नेता और कार्यकर्ता आरजेडी में शामिल हुए.
प्रदेश कार्यालय में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षताआरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष मंगनीलाल मंडल ने की. उन्होंने दरभंगा के जिलाध्यक्ष रहे गोपाल मंडल और प्रदेश महासचिव चांद अंसारी के नेतृत्व में आए जेड़ीयू नेताओं का पार्टी में स्वागत किया. वहीं आरजेडी नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी गोपाल मंडल के पार्टी में शामिल होने पर खुशी जाहिर की और उनका स्वागत किया.
गोपाल मंडल ने जेडीयू पर लगाए गंभीर आरोप
दरभंगा के पूर्व जिलाध्यक्ष गोपाल मंडल ने जेडीयू नेतृत्व पर अतिपिछड़ा वर्ग की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया था. गोपाल मंडल ने कहा कि पिछले 20 सालों के शासन में जेडीयू ने अतिपिछड़ा वर्ग के वोट तो लिए, लेकिन उनके हक और अधिकारों की लगातार अनदेखी की गई. उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी ने अतिपिछड़ा वर्ग के अंदर नेतृत्व उभरने की संभावनाओं को जानबूझकर खत्म कर दिया.
‘अतिपिछड़ा वर्ग को किया नजरअंदाज’
गोपाल मंडल ने प्रदेश अध्यक्ष को भेजे अपने पत्र में लिखा कि जेडीयू ने पिछले 20 वर्षों के शासनकाल में अतिपिछड़ा वर्ग से भरपूर समर्थन और वोट तो लिया, लेकिन हर स्तर पर उनकी हक़मारी को नजरअंदाज किया गया. उन्होंने कहा कि पार्टी ने जानबूझकर उन तबकों को दरकिनार किया, जिन्होंने उसकी राजनीतिक जमीन को मजबूत किया था. मंडल ने खास तौर पर कहा कि धानुक जाति के लोग, जो अतिपिछड़ा वर्ग का अहम हिस्सा हैं, अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि जिस समाजवादी विचारधारा को जननायक कर्पूरी ठाकुर ने जन्म दिया था और जिसे लालू प्रसाद यादव ने आगे बढ़ाया, उस जीवंत धारा को जेडूयू ने बीते दो दशकों में सामंती प्रभाव के अधीन होकर समाप्त कर दिया.
‘अब जदयू में रहना मुनासिब नहीं है’
पूर्व जिलाध्यक्ष ने कहा कि जेडीयू की नीतियों के कारण अतिपिछड़ा वर्ग के लोगों में नीचे से ऊपर तक नेतृत्व उभरने की सारी संभावनाएं खत्म कर दी गईं. पार्टी की नीति और कार्यशैली के कारण आज यह वर्ग आहत और आक्रोशित. उन्होंने कहा कि वो जन दबाव और समाज के हितों को देखते हुए यह निर्णय लेने को विवश हुए हैं. उन्होंने साफ कहा ‘अब जदयू में रहना मुनासिब नहीं है’. गोपाल मंडल के इस्तीफे को जेडीयू के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. दरभंगा समेत मिथिलांचल के कई जिलों में गोपाल मंडल की एक मजबूत पकड़ मानी जाती है.