हुमायूं कबीर का सस्पेंशन पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक ‘टर्निंग पॉइंट’ साबित हो सकता है. यह घटना सिर्फ एक मस्जिद या एक बयान के बारे में नहीं है, यह बंगाल में मुस्लिम राजनीति के बदलते स्वरूप के बारे में है. अगर ममता बनर्जी हिंदुओं को रिझाने के चक्कर में अपने कोर मुस्लिम वोटर को ग्रान्टेड लेने की भूल कर रही हैं, तो हुमायूं कबीर वह चिंगारी हैं जो टीएमसी के वोट बैंक के गोदाम में आग लगा सकते हैं.