
महाराष्ट्र बीएमसी चुनाव का बिगुल अभी बजा नहीं है, लेकिन एमवीए में खींचतान शुरू हो गई है और इसका एकमात्र कारण है राज ठाकरे से उद्धव ठाकरे की लगातार बढ़ती नजदीकी. राज्य में होने वाले स्थानीय चुनावों, खासकर मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव से पहले महाविकास आघाड़ी (MVA) में राजनीतिक खींचतान तेज हो गई है.
राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) को गठबंधन में शामिल किए जाने की चर्चाओं के बीच, कांग्रेस, एमएनएस और समाजवादी पार्टी के नेताओं के बीच तीखी बयानबाज़ी देखने को मिल रही है.
कांग्रेस लड़ेगी अकेले चुनाव- भाई जगताप
मुंबई कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधान परिषद सदस्य भाई जगताप ने संकेत दिए हैं कि पार्टी बीएमसी चुनाव में किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी. टीवी9 भारतवर्ष से बातचीत में उन्होंने कहा, “यह बात मैंने तीन साल पहले भी कही थी, जब मैं मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष था. कांग्रेस को अकेले चुनाव लड़ना चाहिए. कार्यकर्ताओं की भी यही मांग है कि किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन न किया जाए. मैंने यह सुझाव पार्टी आलाकमान तक पहुंचाया है.”
कांग्रेस को डर है राज ठाकरे के नाम से- MNS
कांग्रेस के रुख पर मनसे नेता यशवंत किल्लेदार ने करारा जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस को शायद डर है कि अगर राज ठाकरे का नाम लिया, तो बिहार चुनाव में उन्हें वोट नहीं मिलेंगे. राज ठाकरे या मनसे ने कभी कांग्रेस से जाकर नहीं कहा कि हमें महाविकास आघाड़ी में शामिल करें. कांग्रेस का वजूद खत्म हो चुका है, अब उनकी सीटें भी नहीं आतीं. कांग्रेस पहले अपने अंदरूनी मामलों पर ध्यान दे.
भाई जगताप का बयान निजी राय- कांग्रेस
विवाद बढ़ता देख कांग्रेस की सांसद और मुंबई प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ ने स्थिति साफ करते हुए कहा कि भाई जगताप का बयान उनका व्यक्तिगत मत है. पार्टी की औपचारिक भूमिका शीर्ष नेतृत्व तय करेगा. हर नेता की अपनी राय हो सकती है, लेकिन अंतिम निर्णय कांग्रेस हाईकमान का होगा.
समाजवादी पार्टी ने किया ऐलान
इस बीच समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अबु आसिम आज़मी ने एक पोस्ट (X) के ज़रिए स्पष्ट किया कि मुंबई महानगरपालिका चुनाव में समाजवादी पार्टी महाविकास आघाड़ी का हिस्सा नहीं होगी. उन्होंने लिखा, “जो लोग निर्दोष मुसलमानों के बरी होने पर आपत्ति जताते हैं, लेकिन मालेगांव धमाकों के आरोपियों की रिहाई पर मौन साध लेते हैं, जो बाबरी मस्जिद गिराने पर गर्व करते हैं और उत्तर भारतीयों व बिहारियों का अपमान करते हैं अगर ऐसे लोग महाविकास आघाड़ी में हैं, तो समाजवादी पार्टी उसका हिस्सा कभी नहीं बनेगी.”
आज़मी ने आगे कहा, “समाजवादी पार्टी न्याय, धर्मनिरपेक्षता और गंगा-जमुनी तहज़ीब की राजनीति करती है. नफरत फैलाने वाली ताक़तों के साथ हमारा कोई गठबंधन नहीं होगा.”
वही उपमुख्यमंत्री एक्नाथ शिन्दे ने एमवीए के इस घटनाक्रम पर कटाक्ष करते हुए कहा कि लोकतंत्र में सभी के अधिकार होते हैं और हर पार्टी लोकतंत्र में अपना फैसला खुद लेती है, इसलिए यह उनका अपना फैसला हो सकता है. इसलिए मैं बस इतना ही कहूंगा, “हमने महायुति के साथ लोकसभा जीती, महायुति के साथ विधानसभा जीती. अब स्थानीय निकाय चुनाव भी महायुति के भगवा ध्वज के साथ ही होंगे.
जबकि कोंग्रेस नेता भाई जगताप के बयान का यूबीटी ने कड़े शब्दों में विरोध किया है. यूबीटी प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि कहते हैं कि भाई जगताप मुंबई के छोटे नेता हैं. गठबंधन दिल्ली के नेता तय करते हैं, हम अपने सहयोगियों का सम्मान करते हैं, लेकिन अगर चुनौती दी गई तो हम दिखा देंगे कि शिवसेना क्या कर सकती है.
विपक्षी गठबंधन में पैदा हुईं दरारें
राज ठाकरे की मनसे को MVA में शामिल किए जाने की अटकलों ने विपक्षी गठबंधन में नई दरारें पैदा कर दी हैं. कांग्रेस के भीतर एकला चलो की आवाज और सपा की अलग राह से साफ है कि आगामी BMC चुनाव में आघाड़ी दलों के बीच तालमेल की चुनौती और मतभेद दोनों बढ़ रहे हैं. जबकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना भी कोंग्रेस नेता के बयान पर नाराज है.
- जेपी सिंह