सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (25 नवंबर) को ISKCON के स्कूलों में यौन शोषण के मामलों की जांच की मांग करने वाले पिटीशनर्स से कहा कि वो अपनी शिकायतों के लिए नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड (एनसीपीसीआर) से संपर्क करें. कोर्ट रजनीश कपूर और अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (ISKCON) द्वारा संचालित स्कूलों में यौन शोषण के मामलों की जांच का अनुरोध किया गया था.
जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा कि अगर उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के राज्य बाल अधिकार आयोगों के सामने इस तरह के भ्यावेद प्रस्तुत किए जाते हैं, तो उन पर उचित समय में विचार किया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात
बेंच ने कहा कि हम इस याचिका का निपटारा करते हुए याचिकाकर्ताओं को एनसीपीसीआर, उप्र एससीपीसीआर और पश्चिम बंगाल एससीपीसीआर को एक नया अभ्यावेदन-अनुस्मारक (रिमाइंडर) देने की स्वतंत्रता सुरक्षित रखते हैं, ताकि इस याचिका में लगाए गए आरोपों को इन प्रतिवादियों के संज्ञान में लाया जा सके.
स्कूलों में यौन शोषण के मामलों की जांच का अनुरोध
रजनीश कपूर और अन्य की ओर से दायर याचिका दायर की गई है. याचिका में अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (ISKCON) द्वारा संचालित स्कूलों में यौन शोषण के मामलों की जांच का अनुरोध किया गया था. याचिका में आरोप लगाया गया था कि आंतरिक रिकॉर्ड यौन शोषण के गंभीर मामलों का संकेत देते हैं और अधिकारियों से की गई शिकायतों का कोई जवाब नहीं मिला.
याचिका में क्या कहा
वकील तुषार मनोहर खैरनार के जरिए से दाखिल याचिका में कहा गया, ‘यह जनहित याचिका इसलिए दायर की गई है क्योंकि प्रतिवादी 1 से 11 संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त बच्चों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने और पूरे भारत में इस्कॉन द्वारा संचालित संस्थानों में हुए उनके शारीरिक और यौन शोषण को रोकने की संवैधानिक और कानूनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में नाकाम रहे हैं’. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने प्रतिवादियों के समक्ष शिकायत दायर की है और उसमें बच्चों के साथ हुए इस तरह के यौन और शारीरिक उत्पीड़न का विवरण दिया है.
