लद्दाख में हिंसा भड़कने के लिए क्या हालात जिम्मेदार थे? गृह मंत्रालय ने कही ये बात

लद्दाख में हिंसा भड़कने के लिए क्या हालात जिम्मेदार थे? गृह मंत्रालय ने कही ये बात

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को छठी अनुसूची में रखने और उसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के नेतृत्व में शुरू हुई भूख हड़ताल और उसके बाद फैली हिंसा पर 25 सितंबर को गृह मंत्रालय ने बयान जारी किया. गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि लद्दाख के मुद्दों पर सरकार गंभीर है और इसी उद्देश्य से एपेक्स बॉडी लेह शीर्ष निकाय लेह (Apex Body Leh ) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ लगातार संवाद किया जा रहा है. मंत्रालय के अनुसार, इन बातचीत के जरिए कई अहम निर्णय लिए गए हैं.

गृह मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि उच्चाधिकार प्राप्त समिति (HPC) और उप-समितियों के माध्यम से लद्दाख के हित में कई ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं. इनमें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण को 45% से बढ़ाकर 84% करना, परिषदों में महिलाओं को एक-तिहाई आरक्षण देना, भोटी और पुर्गी भाषाओं को आधिकारिक भाषा का दर्जा देना और 1800 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करना शामिल है. बयान में यह भी कहा गया है कि हालांकि अधिकांश नेता इस प्रगति से संतुष्ट हैं, कुछ राजनीतिक रूप से प्रेरित तत्व इस संवाद को विफल करने की कोशिश कर रहे हैं. इसी संदर्भ में सोनम वांगचुक द्वारा भूख हड़ताल और उनके कथित भड़काऊ बयानों को सरकार ने गंभीरता से लिया है, उन्होंने अरब स्प्रिंग शैली के विरोध और नेपाल में जेन जेड विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करके लोगों को गुमराह किया.

वांगचुक के भाषण के बाद हिंसक प्रदर्शन

गृह मंत्रालय के अनुसार, 24 सितंबर को वांगचुक के भाषणों से प्रेरित भीड़ ने भूख हड़ताल स्थल से निकलकर एक राजनीतिक दल के कार्यालय और लेह के मुख्य कार्यकारी पार्षद (CEC) के सरकारी कार्यालय पर हमला कर दिया. इस दौरान आगजनी, तोड़फोड़ और पुलिस वाहनों को जलाने जैसी घटनाएं हुईं. हिंसा में 30 से ज्यादा पुलिसकर्मी और सीआरपीएफ जवान घायल हो गए. हालात को काबू में लाने के लिए पुलिस को आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी, जिसमें कुछ लोगों के हताहत होने की भी खबर है.

सोशल मीडिया पर भड़काऊ कंटेंट शेयर न करने की अपील

बयान में यह भी बताया गया कि स्थिति दोपहर 4 बजे तक नियंत्रण में आ गई थी. वहीं, वांगचुक ने उसी हिंसक घटनाक्रम के बीच अपना उपवास तोड़ दिया और बिना किसी जिम्मेदारी के एम्बुलेंस के जरिए अपने गांव लौट गए. गृह मंत्रालय कहा कि सरकार लद्दाख की जनता की संवैधानिक सुरक्षा और सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है. साथ ही, लोगों से अपील की गई है कि वे सोशल मीडिया पर पुराने और भड़काऊ वीडियो शेयर न करें. उच्चाधिकार प्राप्त समिति की अगली बैठक 6 अक्टूबर को प्रस्तावित है, जबकि 25 और 26 सितंबर को भी नेताओं से अलग-अलग बातचीत होने की योजना है.

Enjoy this blog? Please spread the word :)

Exit mobile version